मुंबई की ईस्ट इंडिया कंपनी, जहां अंग्रेजों वाला कानून; कैसे चल रहा लगान वसूली का धंधा
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मुंबई की ईस्ट इंडिया कंपनी, जहां अंग्रेजों वाला कानून; कैसे चल रहा लगान वसूली का धंधा

Estate Investment Company: आजादी के 75 वर्ष बाद भी लोगों को अपनी जमीन पर लगान देना पड़ रहा है और आज भी देश में ईस्ट इंडिया कंपनी मौजूद है तो आप कहेंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है?

मुंबई की ईस्ट इंडिया कंपनी, जहां अंग्रेजों वाला कानून; कैसे चल रहा लगान वसूली का धंधा

Estate Investment Company: भारत अपनी आजादी के अमृतकाल में है. हमें अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुए 75 वर्ष से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन अगर हम आपसे कहें कि आज भी हमारे देश में ऐसी जगह है जहां अंग्रेजों वाला कानून चल रहा है. आजादी के 75 वर्ष बाद भी लोगों को अपनी जमीन पर लगान देना पड़ रहा है और आज भी देश में ईस्ट इंडिया कंपनी मौजूद है तो आप कहेंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है? लेकिन ऐसा हो रहा है और किसी दूर-दराज के गांव-देहात में नहीं, बल्कि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से सटे ठाणे जिले में हो रहा है. जहां एक प्राइवेट कंपनी लोगों से अपनी ही जमीन पर घर बनाने के लिए लगान वसूल करती है और खुद महाराष्ट्र सरकार उस प्राइवेट कंपनी को लगान वसूलने का लाइसेंस देती है.

जब ज़ी न्यूज़ को इस खबर का पता चला तो हमें भी यकीन नहीं हुआ कि आजादी के 75 वर्षों बाद भी लोगों से लगान कैसे वसूला जा सकता है. इसलिए ज़ी न्यूज़ ने इस खबर की जांच-पड़ताल शुरु की  और फिर जो सच सामने आया. अब हम उसका खुलासा आपके सामने कर रहे हैं.

अंग्रेजों का बनाया एक कानून चलता 

मुंबई शहर के पास ही बसा हुआ है मीरा रोड और भयंदर का इलाका. ये इलाका ठाणे जिले में आता है. इस इलाके का अपना पुलिस कमिश्नरेट है. इस इलाके का अपना अलग नगर निगम भी है, लेकिन इस पूरे इलाके में आज भी अंग्रेजों का बनाया एक कानून चलता है. आज भी इस इलाके में रहने वाले लोगों को अगर कोई जमीन खरीदनी होती है, किसी प्लॉट पर घर बनाना होता है या किसी पुरानी इमारत की जगह Reconstruction करवाना होता है तो उन्हें इसके लिए The एस्टेट Investment Company नाम की कंपनी को लगान चुकाना होता है. और लगान भी कोई छोटा मोटा नहीं डेढ़ सौ रुपये Square Feet से लेकर पांच सौ रुपये Square Feet के हिसाब से ये जबरन वसूली की जाती है.

NoC देने के लिए करोड़ों रुपये की वसूली

आप कहेंगे कि ये क्या बकवास है. ऐसा कैसे हो सकता है. हमें भी शुरुआत में ऐसा ही लगा था. लेकिन, फिर Zee News की टीम मीरा रोड की एक सोसाइटी में पहुंची, जिसकी बिल्डिंग करीब 68 साल पुरानी है. इस सोसाइटी को वर्ष 1956 में रावल बिल्डर ने डेवलप किया था और लोगों को फ्लैट बेचे थे. अब इस पुरानी हो चुकी बिल्डिंग को तोड़कर दोबारा बनाया जाना है. इसके लिए आमतौर पर सरकारी विभागों से No Objection Certificate यानी NOC लेने की जरूरत पड़ती है. लेकिन, मीरा रोड इलाके में इसके लिए सोसाइटी को Estate Investment Company से NoC लेना होगा. जो कि एक प्राइवेट कंपनी है और ये कंपनी NoC देने के लिए करोड़ों रुपये वसूल करेगी.

इतना ही नहीं, इस मीरा रोड-भयंदर के इलाके में अगर कहीं भी कोई जमीन बेची जाती है. या किसी जमीन पर कोई नई इमारत बनानी होती है. तो सबसे पहले Estate Investment Company से NoC लेने के लिए लगान देना पड़ता है और इसके बाद सरकार को रेवेन्यू फीस और रजिस्ट्री फीस भी देनी पड़ती है. Zee News की टीम ने आजाद भारत में चल रही ईस्ट इंडिया कंपनी के इस लगान सिस्टम की जमीनी हकीकत का On The Spot DNA टेस्ट किया है, जो अब हम आपको बता रहे हैं.

आजाद भारत में चल रही ईस्ट इंडिया कंपनी

आजाद भारत में चल रही ईस्ट इंडिया कंपनी कैसे मीरा-भयंदर के लोगों से जमीनी सौदों में लगान वसूल रही है और कैसे महाराष्ट्र सरकार का Revenue Department इसमें शामिल है. इसकी गवाहियों के बारे में तो आपने जान लिया. और ये भी समझ लिया कि The Estate Investment Company कैसे लोगों से जबरदस्ती Tax ले रही है. The Estate Investment Company की तरफ से लगान वसूलकर दी जाने वाली NoC के बिना मीरा-भयंदर में रहने वाला कोई भी व्यक्ति जमीन से संबंधित कोई काम नहीं कर सकता.

NOC में क्या-क्या है?

The Estate Investment Company की NoC पर सबसे ऊपर कंपनी का नाम लिखा है. ये कंपनी मुंबई में नागिनदास मास्टर रोड के एड्रेस पर रजिस्टर्ड है. The Estate Investment Company ने ये NoC 25 जुलाई 2022 को जारी की थी. इस NoC में लिखा है, 'The above referred society has accepted our right, title and interest in respect of the following referred land on which the above society was constructed without our consent.' यानी सोसायटी ने माना है कि जिस जमीन पर ये सोसायटी बनी हुई है. उस जमीन पर कंपनी का अधिकार है. इस NoC के अगले Paragraph में लिखा है, 'After discussions/negotiations in the matter, we have agreed to release our right, title and interest in respect of the following land by executing separate Release Deed in favour of the society.' यानी कंपनी.. जमीन पर अपना अधिकार छोड़ने के लिए तैयार हो गई है. लेकिन, ये सब फ्री में नहीं हुआ है. इसके लिए The Estate Investment Company ने सोसायटी से पैसा लिया है और ऐसा ही वो मीरा-भयंदर इलाके में हर सोसायटी और हर प्लॉट के मामले में करती है.

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NOC के बिना.. मीरा-भयंदर इलाके में कई किलोमीटर के दायरे के अंदर कोई भी शख्स ना तो जमीन खरीद सकता है. ना जमीन पर कोई इमारत बना सकता है, क्योंकि इस NoC के बिना महाराष्ट्र सरकार का रेवेन्यू विभाग किसी जमीनी सौदे को स्वीकार ही नहीं करता. आखिर एक प्राइवेट कंपनी को मीरा-भयंदर में जमीन पर लगान वसूलने का लाइसेंस मिला कैसे? और आखिर ये लगान वसूला किस आधार पर जा रहा है? आखिर ये The Estate Investment Company मीरा-भयंदर के इतने बड़े इलाके में आजादी के इतने वर्षों बाद भी जमीनों पर लगान कैसे वसूल कर रही है?

वसूली का ये धंधा कब और कैसे शुरू हुआ?

अब आपको बताते हैं कि अवैध लगान वसूली का ये धंधा शुरु कब और कैसे हुआ? इसे समझने के लिए आपको आज से करीब डेढ़ सौ वर्ष पीछे जाना पड़ेगा.. जब मीरा रोड और भयंदर के आसपास समंदर हुआ करता था, जिसका खारा पानी.. इन इलाकों में घुस आया करता था और फसलें खराब हो जाती थीं. 

इस समस्या को दूर करने के लिए वर्ष 1870 में अंग्रेजों ने रामचंद्र लक्ष्मणजी नाम के जमींदार से एक सौदा किया. इस Agreement में तय हुआ था कि इस इलाके के आसपास एक एक बांध जैसा Structure बनाया जाएगा, जो भयंदर से होते हुए मीरा रोड और फिर घोडबंदर रोड तक जाएगा जिससे इन इलाकों में समुद्र का खारा पानी नहीं घुस सके. इसके बदले में रामचंद्र लक्ष्मण जी इस इलाके के किसानों से अगले नौ सौ निन्यान्वे (999) साल तक यहां उगने वाली फसल का एक तिहाई हिस्सा..लगान के तौर पर वसूलेंगे.

यानी तब से भारत को आजाद होने तक और फिर आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बाद अबतक मीरा-भयंदर के लोगों से ये लगान वसूला जा रहा है. ये अपने आप में बेहद हैरानी की बात है कि अंग्रेजों के जमाने का लगान लोगों को आजतक भरना पड़ रहा है और ऐसा भी नहीं है कि इसके खिलाफ कोई आवाज नहीं उठाता, लेकिन हर आवाज को दबा दिया जाता है.

The Estate Investment Company को कैसे मिला लाइसेंस?

अब सवाल ये है कि The Estate Investment Company को ये लगान वसूलने का लाइसेंस कब और कैसे मिला? दरअसल, अंग्रेजों ने जिस जमींदार रामचंद्र लक्ष्मणजी को लगान वसूलने का हक दिया था, उन्होंने बाद में लगान वसूलने का काम जयाबेन भद्रसेन नाम की महिला को दे दिया. इसके बाद जयाबेन भद्रसेन ने वर्ष 1943 में लगान वसूलने का काम तीन लोगों को सौंप दिया. इन तीन लोगों को नाम थे - गोविंदराम ...रामनारायण श्रीलाल और चिंरंजीलाल श्रीलाल. इन तीनों की कंपनी का नाम था - गोविंदराम ब्रदर्स.

वर्ष 1945 में गोविंदराम ब्रदर्स ने लगान वसूलने का काम एक कंपनी को दिया, जिसका नाम है - The Estate Investment Company. ज़ी न्यूज़ के पास 1945 के अग्रीमेंट की भी कॉपी है, जिसमें गोविंदराम ब्रदर्स ने The Estate Investment Company को मीरा-भयंदर के इलाके में लोगों से लगान वसूलने का ठेका देने का सौदा किया. तब से लेकर अबतक यही प्राइवेट कंपनी मीरा-भयंदर के लोगों से इस लगान की वसूली कर रही है

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