शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों को आत्महत्या जैसा कदम उठाने से रोकने के लिए जारी किया मसौदा, स्कूलों को दिए ये निर्देश
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शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों को आत्महत्या जैसा कदम उठाने से रोकने के लिए जारी किया मसौदा, स्कूलों को दिए ये निर्देश

Student Suicide: दिशा-निर्देशों का मसौदा ऐसे समय आया है, जब कोचिंग का केंद्र माने जाने वाले कोटा में इस साल इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने वाले कई छात्रों ने आत्महत्या की है.

शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों को आत्महत्या जैसा कदम उठाने से रोकने के लिए जारी किया मसौदा, स्कूलों को दिए ये निर्देश

Union Ministry of Education: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने छात्रों को आत्महत्या जैसा कदम उठाने से रोकने के लिए स्कूलों को जारी अपने मसौदा दिशा-निर्देशों में कहा है कि ‘वेलनेस’ (आरोग्य) टीम गठित करने के साथ ही आत्महत्या के जोखिम संबंधी संकेत प्रदर्शित करने वाले छात्रों की पहचान की जानी चाहिए और उनकी मदद की जानी चाहिए. दिशा-निर्देशों को तैयार करने के पीछे का विचार है कि ‘हर बच्चे का महत्व’ है. मसौदे में स्कूलों को संवेदनशीलता और समझ बढ़ाने तथा स्व-नुकसान के मामले में सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया गया है.

इसके अलावा, दिशा-निर्देश स्कूलों, अभिभावकों और समुदाय के बीच साझेदारी को बढ़ावा देने, आत्महत्या को रोकने और आत्मघाती व्यवहार से जुड़े कलंक को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में सामाजिक समर्थन को बढ़ावा देने पर भी जोर देते हैं.

दिशा-निर्देशों का मसौदा ऐसे समय आया है, जब कोचिंग का केंद्र माने जाने वाले कोटा में इस साल इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने वाले कई छात्रों ने आत्महत्या की है.

क्या कहा गया है मसौदे में
मसौदे में सहपाठियों के साथ तुलना, विफलता को स्थायी मानने और अकादमिक प्रदर्शन को सफलता का एकमात्र मापदंड मानने सहित हानिकारक धारणाओं को त्यागने की भी सिफारिश की गई है. इसके अलावा खाली कमरों में ताला लगाने, अंधेरे गलियारों को रोशन करने और बगीचों तथा अत्यधिक घास वाले क्षेत्रों की सफाई करने की भी सिफारिश की गई है.

मसौदा दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि प्रधानाचार्य के नेतृत्व में ‘स्कूल वेलनेस टीम’ (एसडब्ल्यूटी) का गठन किया जा सकता है, जहां एसडब्ल्यूटी का प्रत्येक सदस्य संकट की स्थितियों से निपटने में निपुण हो. निर्देशों में कहा गया है कि जब चेतावनी संकेत प्रदर्शित करने वाले छात्र की पहचान किसी हितधारक द्वारा की जाए, तो उन्हें इसकी जानकारी एसडब्ल्यूटी को देनी चाहिए, जो तत्काल कार्रवाई करेगी.

दिशा-निर्देशों में कहा गया है, ‘एसडब्ल्यूटी मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करने और आत्महत्या की रोकथाम की दिशा में निर्देशित गतिविधियों के कार्यान्वयन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. हालांकि, अकेले एसडब्ल्यूटी आत्महत्या की रोकथाम के लिए स्कूल के प्रयासों में पर्याप्त नहीं होगी और इसके लिए सभी हितधारकों के समर्थन की आवश्यकता होगी.’

यह भी सिफारिश की गई है कि स्कूल के भीतर उपलब्ध संसाधनों के आधार पर, स्कूल के सभी हितधारकों को जागरूकता और क्षमता निर्माण का अवसर देने के लिए नियमित आधार पर एसडब्ल्यूटी का पुनर्गठन किया जाए.

दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि इसके अतिरिक्त, स्कूल के लिए एसडब्ल्यूटी की प्रभावशीलता और इसके कामकाज की वार्षिक आधार पर समीक्षा करना महत्वपूर्ण है.

इनमें कहा गया है, ‘छात्र अपने स्कूली जीवन के दौरान कई बदलावों से गुजरते हैं जो अत्यधिक तनाव का कारण बन सकते हैं, उदाहरण के लिए, घर से स्कूल, एक स्कूल से दूसरे स्कूल, स्कूल से कॉलेज, माता-पिता, भाई-बहन, दोस्त, करीबी और प्रियजन से दूर होना आदि.’

दिशा-निर्देशों में कहा गया है, ‘इसके साथ ही, जैसे-जैसे बच्चे विकास के चरणों में आगे बढ़ते हैं, उन्हें बदलावों का भी अनुभव होता है, जिससे शारीरिक परिवर्तन, साथियों का दबाव, करियर निर्णय, शैक्षणिक दबाव और कई अन्य चिंताएं पैदा होती हैं. इन चुनौतियों के बीच, एक भी असंवेदनशील टिप्पणी स्थायी नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखती है.’

स्कूलों को इस दिशा में करना चाहिए सक्रिय रूप से काम
मसौदे में सिफारिश की गई है कि आत्महत्याओं को प्रभावी ढंग से रोकने और संकट की स्थितियों में उचित एवं समय पर प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों को सभी हितधारकों के क्षमता निर्माण की दिशा में सक्रिय रूप से काम करना चाहिए जिसमें शिक्षक और स्कूल कर्मचारी, छात्र, छात्रों के परिवार और अन्य शामिल हों.

इसमें कहा गया है, ‘इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उनके ज्ञान को बढ़ाना और साथियों के समर्थन को प्रोत्साहित करना, आराम देने और तनाव को कम करने के लिए नियमित आधार पर गतिविधियों का आयोजन करना, अभिव्यक्ति के लिए माध्यम प्रदान करना, समर्थन के लिए संसाधनों को संकलित करना, स्कूल के कामकाज में मानसिक कल्याण को शामिल करना है.’

मसौदा दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि स्कूल और इसके बाहर रेल पटरियों, नदी तटों, पुलों, दवाइयों की दुकानों आदि पर सुरक्षित माहौल उत्पन्न किए जाने की आवश्यकता है.

(इनपुट - भाषा)

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