Diabetes: इस कारण बढ़ रहा युवाओं में मधुमेह, रोगियों कि जांच में है गड़बड़ी- एस कुमार
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Diabetes: इस कारण बढ़ रहा युवाओं में मधुमेह, रोगियों कि जांच में है गड़बड़ी- एस कुमार

Diabetes Symptoms: वर्ल्ड लिवर डे के अवसर मधुमेह और उसके कारणों पर देश के मेडिकल क्षेत्र में सेवा दे रहे और वैज्ञानिक गोल्ड मैडलिस्ट एस कुमार ने बताया कि वह लगातार कई दशक से डायबीटीज के रोगियों पर रिसर्च कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने पाया कि मधुमेह के रोगियों कि जांच में गड़बड़ी है. 

 

Diabetes: इस कारण बढ़ रहा युवाओं में मधुमेह, रोगियों कि जांच में है गड़बड़ी-  एस कुमार

World Liver Day: देश में लगातार डायबिटीज से शिकार होने वालों मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, जहां पहले डायबिटीज की बीमारी 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को हुआ करता था तो वहीं अब नौजवानों में भी डायबिटीज की शिकायत बढ़ गई है, जिसकी वजह से काफी कम उम्र से ही उन्हें दवा और इंसुलिन लेना पड़ रहा है. डायबिटीज को मधुमेह के नाम से भी जाना जाता है. मधुमेह क्यों होता है इसका दो टूक में जवाब तो नहीं दिया जा सकता, लेकिन चिकित्सकों का मानना है कि बदले दिनचर्या में गलत खान-पान और कई वजहों से अब यह बीमारी कम उम्र के लोगों में भी पाई जाने लगी है. कई बार ऐसा देखा गया है कि डायबिटीज ग्रसित व्यक्ति मधुमेह की जांच करने के लिए जब क्लिनिक जाता है तो उनकी जांच ठीक से नहीं की जाती और उन्हें इंसुलिन और दवा लेने पर मजबूर कर दिया जाता है, जबकि 90% इंसुलिन बनाने की क्षमता मनुष्यों की शरीर में होती है. 

अधूरी जांच की वजह से इंसुलिन पर निर्भर
वर्ल्ड लिवर डे के अवसर मधुमेह और उसके कारणों पर देश के मेडिकल क्षेत्र में सेवा दे रहे और वैज्ञानिक गोल्ड मैडलिस्ट एस कुमार ने बताया कि वह लगातार कई दशक से डायबीटीज के रोगियों पर रिसर्च कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने पाया कि मधुमेह के रोगियों कि जांच में गड़बड़ी है, जिसकी वजह से उन्हें इंसुलिन लेने को मजबूर किया जा रहा, जबकि इस रोग की बिना इंसुलिन लिए भी इलाज हो सकता है. भारत में लगातार डायबिटीज मरीजों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि आज के जमाने में जब भारत में अति आधुनिक जांच उपलब्ध है. इसके बावजूद 90% से ज्यादा डायबिटीज के रोगी अधूरी जांच के चलते और पूरी जानकारी न होने के कारण डायबिटीज की दवा और इंसुलिन ले रहे हैं. 

देश के लिए चुनौती
यह देश के लिए न केवल एक चुनौती है, बल्कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बहुत गंभीर समस्या भी है. उन्होंने कहा कि मधुमेह रोग का नाम सुनते ही सबसे पहले लोगों के मन में यही ख्याल आता है कि अब उन्हें ताउम्र दवा के सहारे अपनी जिंदगी काटनी पड़ेगी, लेकिन यही सबसे बड़ी झूठ है, क्योंकि रोगियों को पूरी जानकारी नहीं है. उनके लिए भी एक वैज्ञानिक होने के नाते बहुत बड़ी चुनौती थी कि आखिर इस रोग से लोगों को कैसे मुक्ति दिलाया जाए. उन्होंने इस ओर गहन रिसर्च कर यह देखा कि मेडिकल साइंस में भी इस रोग में डायबिटीज में कुछ महत्वपूर्ण टेस्ट की जानकारी दी गई है, जिसे आमतौर पर देश के चिकित्सक मरीजों को सलाह तक नहीं देते हैं. 

ये जांच महत्वपूर्ण
उन्होंने कहा कि सी-पेप्टाइड टेस्ट होमा (आईआर),फास्टिंग सिरम इंसुलिनसेंसटिविटी और बीटा सेल फंक्शन का टेस्ट इस रोग में बहुत ही महत्वपूर्ण है. लेकिन डॉक्टर इस टेस्ट के लिए रोगियों को सलाह तक नहीं देते हैं. समय बदला जब देश में यह आधुनिक टेस्ट मौजूद है तो फिर आखिर प्रॉब्लम कहां है? मरीजों में फास्टिंग, पोस्टमिल और HbA1c के अलावा सी-पेप्टाइड टेस्ट, होमा (आईआर) और बीटा सेल फंक्शन जैसे प्रमुख टेस्ट के लिए रोगियों को सलाह दी और जब पूरी जांच सामने आई तो टेस्ट चौंकाने वाली थी. क्योंकि उनके सेंटर पर जितने भी रोगी आए उनमें से किसी को मधुमेह रोग था ही नहीं और ऐसे रोगी पिछले 20-20 साल से दवा और इंसुलिन ले रहे थे. 

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तीन नहीं बल्कि कराएं 8 टेस्ट
उन्होंने कहा कि जब पहले से ही ऐसे रोगियों में सी पेप्टाइड मौजूद था और बीटा सेल फंक्शन भी अच्छी तरह से काम कर रही थी, बॉडी में इंसुलिन भी बन रही थी तो फिर डायबिटीज की दवा या फिर इंसुलिन लेने की जरूरत ही क्या थी? उन्होंने देश के 56 सेंटरों के माध्यम से लाखों मरीजों को इस रोग से निकाला और आज गर्व के साथ कह रहे हैं कि आने वाले समय में उनके रिसर्च से भारत को डायबिटीज रोग से मुक्ति मिल जाएगी. इसमें जो महत्वपूर्ण है वह यह है कि जानकारी ही बचाव है. हम सिर्फ लोगों को जानकारी देकर इस रोग से बचाना चाहते हैं. क्योंकि लोग अनावश्यक जानकारी के अभाव में डायबिटीज न होते हुए भी दवा और इंसुलिन ले रहे हैं, जो उनके लिए बहुत ही घातक है. उन्होंने ऐसे रोगियों को तीन टेस्ट नहीं कुल आठ टेस्ट जिसमें सी-पेप्टाइड टेस्ट और होमा (आईआर)बीटा सेल फंक्शन जो आज के समय में अत्यंत ही महत्वपूर्ण है इसके लिए सलाह दी है.

इनपुट- हरि किशोर साहा

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