Rohtak News: रैन बसेरों के गेट पर लटके ताले, ठंड में खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर लोग
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Rohtak News: रैन बसेरों के गेट पर लटके ताले, ठंड में खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर लोग

Rohtak News: नगर प्रशासन द्वारा रैन बसेरों के बाहर ताला लगाया गया है, जिसकी वजह से लोग खुले आसमान में रात गुजारने को मजबूर हैं. वहीं दूसरी ओर जिम्मेदार घर में चैन की नींद सो रहे हैं.

Rohtak News: रैन बसेरों के गेट पर लटके ताले, ठंड में खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर लोग

Rohtak News: ठंड के मौसम की शुरुआत होते ही मुसाफिर रैन बसेरों की खोज में जुट जाते हैं, लेकिन शायद प्रशासन को इनकी याद नहीं आती. यही वजह है कि मुसाफिरों के लिए बनाए गए रैन-बसेरों में गंदगी का अंबार नजर आता है. यही नहीं नगर प्रशासन द्वारा रैन बसेरों के बाहर ताला भी लगाया गया है, जिसकी वजह से लोग खुले आसमान में रात गुजारने को मजबूर हैं. वहीं दूसरी ओर जिम्मेदार घर में चैन की नींद सो रहे हैं. 

रोहतक में बनाए गए दो रैन बसेरे
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, ठंड के मौसम में फुटपाथ पर सोने वाले मजदूरों और दूर-दराज से आने वाले मुसाफिरों को लिए रोहतक के बस स्टैंड व नागरिक अस्पताल के पास दो रैन बसेरे बनाए गए हैं. इसके बाद भी लोगों को खुले आसमान के नीचे रात गुजारनी पड़ रही है. एक रैन बसेरे के बाहर नगर प्रशासन ने ताला लटकाया है तो वहीं दूसरे की देखरेख नहीं होने की वजह से उसे बंद रखा गया है. जबकि नियमानुसार रैन बसेरे 24 घंटे खुले रहने चाहिए. 

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ठंड के सितम के बीच मजबूर लोग
खुले आसमान के नीचे सड़कों पर रात बिताने वाले लोगों का कहना है कि एक तरफ जहां रैन बसेरों में कोई व्यवस्था नहीं की गई है, वहीं दूसरी तरफ उन्हें सड़कों पर भी नहीं सोने दिया जा रहा. सड़क पर सोने वाले लोगों को पुलिस ऐसा करने से रोकती है, यही नहीं पुलिसवालों द्वारा मारपीट और गाली-गलौच भी की जाती है. ऐसे में मुसाफिर कहां जाएं और अपनी परेशानियों को किससे कहें. 

रैन बसेरों में आश्रय की तलाश के लिए जाने वाले लोग उसमें ताला लटका देखकर बाहर खुले में रात गुजारने को मजबूर हैं. कड़ाके की ठंड के बीच यहां पर लोग एक कंबल के सहारे रात काट रहे हैं, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई भी नहीं है. 

Input- Raj Takiya

 

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