DNA: मॉल्स में लापरवाही... मतलब 'मौत की दुकान'! शव हटाए...सबूत मिटाए...और मॉल चालू था?
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DNA: मॉल्स में लापरवाही... मतलब 'मौत की दुकान'! शव हटाए...सबूत मिटाए...और मॉल चालू था?

Greater Noida Mall Accident: जितनी तेज रफ्तार से शहर की आबादी बढ़ी है, उतनी ही तेज रफ्तार से शहरों में मॉल्स की संख्या भी बढ़ी हैं. लेकिन आजकल स्थिति ये हो गई है कि मॉल्स, हादसों की जगह भी बनते जा रहे हैं.

DNA: मॉल्स में लापरवाही... मतलब 'मौत की दुकान'! शव हटाए...सबूत मिटाए...और मॉल चालू था?

Greater Noida Mall Accident: आमतौर पर बड़े शहरों में शनिवार और रविवार ऐसे दिन होते हैं, जिसमें लोग शॉपिंग और आउटिंग के लिए घर से बाहर ही रहते हैं. ये दिन बच्चों के लिए परिवार के साथ घूमने फिरने का होता है, ये दिन पारिवारिक मनोरंजन के लिए किसी मॉल में जाकर, रेस्टॉरेंट में खाना खाने, थिएटर में अच्छी फिल्म देखकर मौज मस्ती का होता है. जितनी तेज रफ्तार से शहर की आबादी बढ़ी है, उतनी ही तेज रफ्तार से शहरों में मॉल्स की संख्या भी बढ़ी हैं. लेकिन आजकल स्थिति ये हो गई है कि मॉल्स, हादसों की जगह भी बनते जा रहे हैं.

34 प्रतिशत मॉल केवल दिल्ली एनसीआर में

बता दें कि देश के 8 सबसे बड़े बाजार माने जाने वाले शहरों में 271 मॉल हैं. इन शहरों में अहमदबाद, बेंगलुरू, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता, पुणे और दिल्ली एनसीआर है. आपको हैरानी होगी जानकर कि इनमें से 34 प्रतिशत मॉल केवल दिल्ली एनसीआर में ही हैं. जहां तक हादसों की बात है तो 13 जुलाई 2023 को ग्रेटर नोएडा के Galaxy plaza Mall में आग लग गई थी. 13 नवंबर 2023 को गाजियाबाद के आदित्य मॉल में आग लग गई थी. 3 मार्च 2024 को अब ग्रेटर नोएडा के Blue Sapphire Mall में लोहे का स्ट्रक्चर गिर गया, जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई.

..मौत को दावत देने जैसा

बड़े-बड़े fancy malls देखकर अक्सर लोग, पूरे परिवार के साथ वहां पहुंच जाते हैं. लोगों को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं होता कि जिन मॉल्स की चमकदार लाइट्स और सोशेबाज़ी को देखकर, वो वहां पहुंचे हैं, वहां के हालात कैसे हैं. आमतौर पर लोग ये भरोसा करके चलते हैं, कि मॉल है तो लिफ्ट अच्छी होगी, मॉल है तो दुकान अच्छी होगी, मॉल है तो कंस्ट्रक्शन अच्छा होगा..मॉल है तो सिक्योरिटी अच्छी होगी...मॉल है तो खतरा भी कम है. लेकिन अफसोस, देश में कई मॉल ऐसे हैं, जहां जाना मौत को दावत देने जैसा है.

हरेंद्र-शकील की जान चली गई

उदाहरण के तौर पर ग्रेटर नोएडा के GALAXY BLUE SAPPHIRE मॉल को ले लीजिए. बाहर से देखने में ये मॉल, बड़े बड़े ब्रैंड्स का घर लगता है, लेकिन अंदर से कितना खोखला है, ये उन दो परिवारों से पूछिए जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को मॉल प्रशासन की लापरवाही की वजह से खो दिया. हरेंद्र भाटी और शकील खान, ये दो GALAXY BLUE SAPPHIRE मॉल की लापरवाह Maintenance का शिकार हो गए. हरेंद्र भाटी की इस मॉल में शॉप है, वो property dealing और home decoration का सामान बेचते थे. शकील खान इस मॉल में पेंटिंग का काम करते थे.

कैसे हुआ हादसा?

रविवार को दोपहर करीब साढ़े 12 बजे हरेंद्र भाटी और शकील खान अपने-अपने काम से मॉल में आए हुए थे. ये दोनों मॉल की लिफ्ट के पीछे Escalator के पास खड़े थे. इन दोनों को अंदाजा नहीं था कि कुछ ही देर में मॉल प्रशासन की लापरवाही की वजह से उनकी मौत होने वाली है. जिस जगह पर ये दोनों लोग खड़े थे, वो जगह मॉल का सेंटर प्वाइंट है, जहां से ऊपर देखने पर मॉल के सभी फ्लोर और उनकी रेलिंग नजर आती है. मॉल में जो लिफ्ट लगी है, उसका पिछला हिस्सा भी यहां से नजर आता है. इस लिफ्ट के ऊपर लोहे का बना एक स्ट्रक्चर लगाया गया था. ये स्ट्रक्चर चंद पेंच के सहारे लिफ्ट की tiles में जड़ दिया गया था, जो काफी कमजोर था, और हादसे का इंतजार कर रहा था.

दोनों की मौके पर ही मौत

यही स्ट्रक्चर अचानक गिरा और इसके नीचे हरेंद्र और शकील दब गए. दोनों की ही मौके पर ही मौत हो गई. ये स्ट्रक्चर कितना भारी था, इसका पता हादसे वाली जगह के हालात देखकर चलता है. मलबे का बड़ा हिस्सा ground floor पर गिरा था. लेकिन lower ground floor पर भी इसका कुछ हिस्सा पड़ा हुआ था. ground floor की रेलिंग भी इस हादसे से टूट गई, इससे ये भी पता चलता है कि जो structure टूटा था, वो काफी भारी था. हमने इस हादसे की तहकीकात की. हमने ये पता लगाया कि जो structure टूटकर गिरा, वो कहां से टूटा था, और वहां की स्थिति क्या है. आपको यकीन नहीं होगा, लेकिन मॉल यूहीं चलता रहा तो हादसे की एक और script हमें वहां तैयार नजर आई है.

मॉल प्रशासन एक और हादसे का इंतजार कर रहा है?

हादसे के करीब दो दिन बाद भी लिफ्ट के ऊपर का ये स्ट्रक्चर अभी तक नहीं हटाया गया है. तो क्या ये मान लिया जाए कि मॉल प्रशासन एक और हादसे का इंतजार कर रहा है? इस हादसे के तुरंत बाद मॉल प्रशासन की तरफ से जो एक्शन लिए जाने चाहिए, वो नहीं लिए गए. जैसे ही ये हादसा हुआ, मॉल के मेंटेनेंस टीम के लोग भाग गए. मॉल की सुरक्षा में लगी टीम को तुरंत पुलिस को जानकारी देनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, बल्कि लोगों ने पुलिस को फोन करके इस हादसे की जानकारी दी. यही नहीं हादसे के तुरंत बाद घटनास्थल को खाली करवा देना चाहिए था,लेकिन मॉल चालू रखा गया. हादसे में मारे गए लोगों के शव को हटाना नहीं चाहिए था, लेकिन मॉल की सुरक्षाकर्मियों ने ऐसा करने दिया. घटनास्थल पर खून के धब्बों को मॉल प्रशासन ने सफाई कर्मियों से साफ करवाने की कोशिश की. मॉल को बंद नहीं किया गया, जिसकी वजह से बड़ी संख्या में लोग मॉल में आते रहे.

मॉल प्रशासन ने अपनी कमाई चालू रखी

आप सोचिए कि किसी जगह पर छत से कोई भारी भरकम लोहे का स्ट्रक्चर गिर गया हो, हादसे में दो लोगों की मौत हो गई हो, बावजूद इसके मॉल प्रशासन ने अपनी कमाई चालू रखी. ऐसा लगा जैसे इंसान की मौत, उनके लिए कोई मायने ही नहीं रखती. हादसे की जगह को ऐसे साफ किया गया, ताकी मॉल में आने वाले लोगों को पता ही ना चले कि वहां पर क्या हुआ था. मॉल प्रशासन ने इस तरह से काम किया, जैसे वो इस हादसे के कोई निशान नहीं छोड़ना चाहते थे.

मॉल प्रशासन की अमानवीयता

क्या मॉल प्रशासन और बड़े हादसे का इंतजार कर रहा था? मॉल में भीड़ बुलाकर वो ज्यादा से ज्यादा लोगों को हादसे में मारे जाने का न्योता दे रहा था? जिस जगह स्ट्रक्चर गिरा, उस पर कार्रवाई ना करके, लोगों को मॉल में बुलाने के उपाय किए गए. ये कदम मॉल प्रशासन की अमानवीयता थी कि उसने हादसे के बाद मॉल को बंद रखने के बजाए, अपनी दुकान चालू रखने का फैसला किया. मॉल की मेंटनेंस टीम को भी अपने यहां के हालात मालूम थे. उन्हें लगातार यहां के दुकानदारों से शिकायतें मिल रही थीं. लेकिन बावजदू इसके कोई कदम नहीं उठाए गए. हमने यहां के एक दुकानदार से बात की.

मालिकों पर केस दर्ज

मॉल मालिकों की अमानवीय हरकत पर जी न्यूज़ की नजर लगातार बनी हुई थी. एक मुहिम की तरह हमने खबर को प्राथमिकता दी, जिसकी वजह से पुलिस ने ब्लू सफायर मॉल को फिलहाल बंद कर दिया है. ये कदम जरूरी था क्योंकि मॉल मालिकों को इंसानी जान की फिक्र कम, अपनी कमाई रुक जाने की फिक्र ज्यादा थी. शायद इसीलिए मॉल को चलाए रखा गया. इस हादसे में मारे गए हरेंद्र भाटी की परिवार वालों ने मॉल के मालिकों और मेंटनेंस टीम के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है. FIR की कॉपी हमारे पास है. इसमें ब्लू सफायर मॉल के मालिकों प्रदीप अग्रवाल और शीतल अग्रवाल के अलावा मेंटेनेंस के कर्मचारियों को भी आरोपी बनाया गया है.

हादसे से पुराना नाता

शायद आपमें से कई लोगों को प्रदीप अग्रवाल और शीतल अग्रवाल नाम से कुछ याद ना आया हो, लेकिन पिछले वर्ष इन्हीं के एक और मॉल में बड़ा हादसा हुआ था. Galaxy Plaza Mall... शायद इस नाम से आपको कुछ याद आ जाए. Galaxy Plaza Mall में पिछले वर्ष जुलाई में आग लगने की एक घटना हुई थी. इस हादसे के कई वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हुए थे. हालाते ये थे कि मॉल में मौजूद लोग खिड़की के रास्ते कूदकर, आग से बचने कोशिश कर रहे थे. आग लगने की इस घटना को शॉर्ट सर्किट बताया गया था.

8 महीने के अंदर ही दो हादसे

लेकिन अब इसे अजीब सा इत्तेफाक कह सकते हैं लेकिन GALAXY नाम से दो मॉल्स, जिनके मालिक एक ही हैं, उनमें 8 महीने के अंदर ही दो हादसे हो गए. एक में आम लोगों ने खिड़की से कूदकर जान बचाई, और दूसरे हादसे में 2 लोगों की मौत भी हो गई. इसमें गलती किसकी रही होगी, ये आप खुद समझ सकते हैं. हमने ब्लू सफायर मॉल में हुए हादसे को लेकर उनके प्रबंधक से बात की. ब्लू सफायर मॉल के प्रबंधक भले ही ये दावा कर रहे हों कि स्ट्रक्चर का जो हिस्सा टूटकर गिरा था, उसको ठीक करने की तैयारी कर ली गई थी. लेकिन उससे पहले ही हादसा हो गया. इससे एक बात साफ है कि उन्हें इस स्ट्रक्चर के कमजोर हो जाने की जानकारी पहले से थी. यानी दो मौतों के पीछे की जिस लापरवाही के बारे में हम बात कर रहे हैं, उसका पता, मॉल प्रबंधक को भी था.

पीड़ित परिवार इस हादसे के बाद गुस्से में

मॉल प्रबंधक पीड़ित परिवारों से मिलने की बात कह रहे हैं, लेकिन पीड़ित परिवार इस हादसे के बाद से गुस्से में भी है और दुखी भी. घर की महिलाएं मातम में डूबी हुई है, और पुरुष मॉल प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. वैसे तो मॉल प्रशासन अपने यहां की दुकानदारों से मेंटनेंस के नाम पर लाखों रुपये लेता है. लेकिन आए दिन इन मॉल्स में अलग-अलग तरह के हादसे होते हैं. इसकी एक वजह मेंटनेंस डिपार्टमेंट का ठीक से काम ना करना है. रविवार दोपहर को ग्रेटर नोएडा के ब्लू सफायर मॉल में हादसा हुआ, तो उसके ठीक 12 घंटे बाद रात करीब 1 बजे, दिल्ली के वसंत कुंज के मॉल की छत का हिस्सा गिर गया.

वसंत कुंज में एंबियंस मॉल का यही हाल

वसंत कुंज में एंबियंस मॉल, एक जाना माना नाम है. इसी मॉल की छत का एक हिस्सा टूटकर नीचे गिर गया. गनीमत रही उस वक्त मॉल में लोग नहीं थे. अगर ये घटना दिन के वक्त हुई होती तो बड़ा हादसा हो गया होता. इस तरह की घटनाओं से एक सवाल ये उठता है कि क्या मॉल्स की कंस्ट्रक्शन क्वालिटी, और मेंटेनेंस की निगरानी को लेकर कोई नियम कायदे नहीं हैं? एक ऐसी जगह जहां बड़ी संख्या लोग जाते हैं, वहां उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी, क्या उस मॉल प्रशासन पर छोड़ देनी चाहिए, जो मेंटनेंस पर ध्यान ही नहीं देते? इस पर सरकार को विचार करने की जरूरत है.

(इनपुट-RAJU RAJ, SAYED MUBASHIR)

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