Explainer: सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दी 14 साल की बच्ची को गर्भ गिराने की इजाजत?
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Explainer: सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दी 14 साल की बच्ची को गर्भ गिराने की इजाजत?

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने 14 साल की बच्ची को 30 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति दे दी है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने उसे इजाजत देने से इनकार कर दिया था.

Explainer: सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दी 14 साल की बच्ची को गर्भ गिराने की इजाजत?

Supreme Court On Abortion: सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 की शक्तियों का प्रयोग करते हुए 30 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति दी है. 14 साल की बलात्कार पीड़िता ने अदालत से इसकी गुहार लगाई थी. सोमवार को सुप्रीम  कोर्ट ने इसे 'असाधारण' मामला बताते हुए कहा कि बच्ची की रक्षा करनी होगी. प्रेग्नेंसी को मेडिकल टर्मिनेट करने की इजाजत देकर SC ने ने बॉम्‍बे हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि गर्भपात का सारा खर्च राज्य सरकार उठाएगी. कोर्ट ने कहा कि 'नाबालिग का हित और उसकी सुरक्षा सर्वोपरि है'. भारत के कानून इतने बड़े गर्भ को गिराने की इजाजत नहीं देते. मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) एक्ट के अनुसार, डॉक्टर की सलाह पर 20 सप्ताह तक का गर्भ गिराया जा सकता है. कुछ मामलों में 20-24 हफ्ते पर भी गर्भपात की इजाजत मिलती है.

इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने 30 सप्ताह का गर्भ गिराने की अनुमति देने के लिए अनुच्छेद 142 का सहारा लिया. यह अनुच्छेद SC को उसके समक्ष लंबित किसी मामले या मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक कोई भी डिक्री या आदेश पारित करने का अधिकार देता है.

सुप्रीम कोर्ट: 'असाधारण' मामला, दी गर्भपात की इजाजत

पिछली सुनवाई के दौरान, SC ने मुंबई के सायन अस्पताल से 14 वर्षीय पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट मांगी थी. सोमवार को, सीजेआई ने कहा कि यह 'असाधारण' मामला है. उन्होंने कहा कि अस्पताल के मुताबिक, गर्भपात की अनुमति दी जा सकती है. रिपोर्ट पढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'नाबालिग की इच्छा के उलट, गर्भावस्था को जारी रखने से उसकी शारीरिक और मानसिक सेहत पर विपरीत असर पड़ेगा.' सीजेआई ने कहा, 'यह अदालत अनुच्छेद 142 के तहत मिली शक्तियों का प्रयोग करती है. पहले भी ऐसे मामले में अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया गया था.' कोर्ट ने सायन अस्पताल के डीन से एक टीम बनाने को कहा जो पीड़‍िता का गर्भपात करेगी.

पीड़िता की मां ने बॉम्बे हाई कोर्ट से गर्भपात की इजाजत न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. कोर्ट ने यह नोट किया कि मामले में एफआईआर 20 मार्च 2024 को दर्ज हुई. तब तक MTP एक्ट के तहत मिली 24 हफ्तों की समयसीमा पूरी हो चुकी थी. HC के आदेश को किनारे रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑपरेशन का सारा खर्च सरकार उठाएगी. अगर गर्भपात के बाद पीड़िता को किसी तरह की मेडिकल सहायता की जरूरत पड़ती है तो वह मुहैया कराई जाएगी. 

संविधान का अनुच्छेद 142 क्या कहता है?

भारत के सुप्रीम कोर्ट को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत, कुछ विशेष शक्तियां मिली हुई हैं. यह अनुच्छेद SC को उसके सामने लंबित किसी भी मामले में 'पूर्ण न्याय' के लिए जरूरी डिक्री या आदेश पारित करने की शक्ति देता है. ऐसी डिक्री और आदेश समूचे भारत पर लागू होते हैं. यह न्यायिक हस्तक्षेप का यह महत्वपूर्ण तरीका है. सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 142 के तहत, मौजूदा कानूनों और नियमों से परे जाकर न्याय सुनिश्चित कर सकता है.

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