Blue Economy Explainer: क्या है ब्लू इकोनॉमी? बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया जिक्र, चीन-मालदीव दोनों को झटका
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Blue Economy Explainer: क्या है ब्लू इकोनॉमी? बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया जिक्र, चीन-मालदीव दोनों को झटका

Union Budget 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश में लंबे समय से ब्लू इकोनॉमी की चर्चा करते रहे हैं. इस बार इंतरिम बजट भाषण में वित्त मंत्री ने ब्लू इकोनॉमी 2.0 का जिक्र किया है.

 

Blue Economy Explainer: क्या है ब्लू इकोनॉमी? बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किया जिक्र, चीन-मालदीव दोनों को झटका

What Is Blue Economy 2.0: संसद में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अंतरिम बजट (Union Budget 2024) पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ((Finance Minister Nirmala Sitharaman)) ने फिर से ब्लू इकोनॉमी का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि समुद्र तटीय, समुद्री और जलीय प्रोडक्ट्स को बढ़ावा और मजबूती देने के लिए इंटिग्रेटेड और बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण के साथ योजनाएं शुरू की जाएगीं. 

ब्लू इकोनॉमी 2.0 के बारे में वित्त मंत्री ने बजट भाषण में क्या कहा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट भाषण में कहा कि ब्लू इकोनॉमी 2.0 (Blue Economy 2.0) की मदद और उसे तेज गति से बढ़ाने को लेकर जलवायु से जुड़ी गतिविधियों को भी लचीला किया जाएगा. आइए, जानते हैं कि ब्लू इकोनॉमी (Blue Economy) क्या है, उसके वर्जन 2.0 के जरिए वित्त मंत्री क्या कहना चाहती हैं और इसे पड़ोसी मुल्क चीन और मालदीव के लिए क्यों झटका माना जा रहा है?

ब्लू इकोनॉमी क्या होता है? विश्व बैंक और यूरोपीय कमीशन ने बताया

विश्व बैंक (World Bank) के मुताबिक, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के इर्द-गिर्द होने वाले आर्थिक क्रियाकलाप और व्यापार तंत्र की गतिविधियां 'ब्लू इकोनॉमी' हैं. इसमें बेहतर आजीविका और नौकरी पैदा करने के लिए समुद्री संसाधनों का लगातार इस्तेमाल भी शामिल है. 

यूरोपीय कमीशन इसके तहत "महासागरों, समुद्रों और तटों से संबंधित सभी मानवीय आर्थिक गतिविधियों" को भी शामिल करता है. इस तरह ब्लू इकोनॉमी का मतलब मछली पालन से लेकर, तेल और खनिज उत्पादन, शिपिंग और समुद्री व्यापार, बंदरगाहों पर संचालित गतिविधियां, पर्यटन उद्योग जैसे आर्थिक क्रियाकलापों से है. इसके अलावा समुद्र के बीच सामरिक-रणनीतिक महत्व के ठिकानों का विकास भी इसका विस्तारित हिस्सा होता है.

ग्लोबल इकोनॉमी में क्या और कितना है ब्लू इकोनॉमी का योगदान

विश्व की अर्थव्यवस्था या ग्लोबल इकोनॉमी में हर साल करीब 1.5 ट्रिलियन डॉलर का बड़ा योगदान समुद्र आधारित अर्थव्यवस्था यानी ब्लू इकोनॉमी के जरिए होता है. इस योगदान में सबसे बड़ी हिस्सेदारी समुद्री व्यापार की है. दुनियाभर में होने वाले व्यापार का 80 फीसदी समुद्र के रास्ते ही किया जाता है. इसके बाद मछली पालन का नंबर आता है. आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में  35 करोड़ों लोगों की जीविका मत्स्यपालन पर टिकी हुई है.

साथ ही समुद्री अपतटीय क्षेत्रों में तेल उत्पादन भी ब्लू इकोनॉमी का ही हिस्सा है. दुनिया के कुल कच्चे तेल उत्पादन का करीब 34 फीसदी समुद्री अपतटीय क्षेत्रों से होता है. इस तरह देखें तो वैश्विक स्तर पर ब्लू इकोनॉमी की कुल संपत्ति का आधार 24 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा है. रिपोर्ट के मुताबिक मछली पकड़ने और जलीय कृषि, शिपिंग, पर्यटन जैसी बाकी गतिविधियों के संयोजन से हर साल कम से कम 2.5 ट्रिलियन डॉलर का सृजन होता है.

भारत में तेजी से आगे बढ़ रही ब्लू इकोनॉमी, भारत पर समुद्री तटरेखा मेहरबान 

ब्लू इकोनॉमी को लेकर दुनिया के तमाम देशों की तरह भारत भी तेजी से काम कर रहा है. भारत सरकार के 'न्यू इंडिया' विजन में 10 प्रमुख आयामों में से ब्लू इकोनॉमी एक है. फिलहाल देश की कुल जीडीपी में ब्लू इकोनॉमी का करीब 4 फ़ीसदी का योगदान है. समुद्र की स्थिति देखें तो तीन तरफ से समुद्र से घिरे भारत के पास 1,382 द्वीपों के साथ 7517 किलोमीटर लंबी तटीय रेखा है. ये समुद्री तटरेखा देश के नौ तटीय राज्यों में फैली हुई है. इन तटों पर बने 12 प्रमुख और 200 छोटे बंदरगाहों से ही देश का करीब 95 फीसदी व्यापार होता है.

दुनिया की सबसे विस्तृत तटरेखाओं वाले अपने देश भारत का एक्सक्लूसिव इकनॉमिक जोन (Exclusive Economic Zone -EEZ) 2.2 मिलियन वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है. भारत में महासागर आधारित पर्यटन की गुंजाइश भी काफी ज्यादा है. देश के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, बेरोजगारी कम करने, खाद्य सुरक्षा निश्चित करने और गरीबी से निपटने के लिए ब्लू इकोनॉमी देश में एक जबरदस्त अवसर बन रहा है. इसे अगला 'सनराइज सेक्टर' कहा जा रहा है.

चीन और मालदीव के लिए क्यों झटका माना जा रहा है Blue Economy 2.0

ब्लू इकोनॉमी के तहत सिर्फ कोरल रीफ वाले देशों के तटीय पर्यटन से दुनिया भर में हर साल 6 अरब डॉलर की कमाई होती है. इनमें चीन के द्वीपों के अलावा मालदीव जैसे देश का भी नाम शामिल है.  विस्तारवादी नीति वाला चीन लंबे समय से इस नीति पर चल रहा है कि आस-पड़ोस के देशों की जमीन पर और उनके कब्जे वाले समुद्र में अपना सामरिक ठिकाना स्थापित करे. बीते दिनों भारत के साथ राजनयिक विवाद के बीच मालदीव के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपने चीन जाकर वहां के प्रेसिडेंट शी जिनपिंग से मुलाकात की. चीन और मालदीव ने पर्यटन में सहयोग समेत 20 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे. इनमें ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा देना और बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) काफी अहम है.

भारत के अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर के साथ ही ब्लू इकोनॉमी 2.0 को बढ़ावा देने का जिक्र किया. इसके बाद चीन और मालदीव को झटका लगना लाजिमी है. क्योंकि कोरल रीफ वाले तटीय पर्यटन के लिहाज से लक्षद्वीप मालदीव पर भारी पड़ता है. पीएम मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद वहां पर्यटन बढ़ा है. अब निर्मला सीतारमण ने ब्लू इकोनॉमी के तहत लक्षद्वीप में इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की बात भी की है. ब्लू इकोनॉमी को लेकर भारत की सक्रियता से मालदीव को साथ लेकर समुद्री विविधता और प्राकृतिक संसाधनों से भरे हिंद महासागर में दादागिरी की चीन की मंशा चौपट हो जाएगी.

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