Bharat Ratna Narasimha Rao: पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को मरणोपरांत देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' देने की घोषणा हुई है. करीब 19 साल पहले, राव के अंतिम संस्कार को लेकर भारी विवाद हुआ था.
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PV Narasimha Rao Full story: पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजा गया है. राव 1991 से 1996 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे. उनके कार्यकाल में देश आर्थिक उदारीकरण की राह पर बढ़ा. राव गैर नेहरू-गांधी परिवार से आने वाले पहले नेता थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में लगातार 5 साल काम किया. वह दक्षिण भारत से आने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री रहे. राव को 'भारत रत्न' से सम्मानित किए जाने पर उनके पोते एनवी सुभाष ने कहा, 'यह कांग्रेस के मुंह पर तमाचा है. (नरेंद्र) मोदी सरकार ने पार्टी नहीं देखी, योगदान देखा. मैं याद करता हूं कि 2004 को, जब हमारी परिवार की मर्जी के खिलाफ (राव का) पार्थिव शरीर हैदराबाद भेजा गया था.'
सुभाष उस दौर को याद कर रहे हैं जो गुजरते वक्त के साथ कांग्रेस के लिए नासूर बन चुका है. 23 दिसंबर 2004 के घटनाक्रम की भारतीय राजनीति में दूसरी मिसाल नहीं मिलती.
कैसे बिगड़ते चले गए थे राव और गांधी परिवार के रिश्ते
1991 में जब पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हुई, राव ने राजनीति त्यागने का मन बना लिया था. तब राजीव की विधवा ने नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार चलाने के लिए राव को चुना. हालांकि, राव और सोनिया के बीच सब कुछ ठीक नहीं था. सोनिया बोफोर्स घोटाले की जांच से नाराज थीं, जिसमें राजीव पर आरोप थे. वह राव सरकार के आर्थिक सुधारों के पक्ष में भी नहीं थी.
राव की आत्मकथा Half Lion: How PV Narasimha Rao transformed India में विनय सीतापति लिखते हैं सोनिया की नाराजगी 1995 आते-आते चरम पर पहुंच गई थी. वह अपने पति की हत्या की जांचों की 'धीमी रफ्तार' से खफा थीं. दोनों के बीच बातचीत कम ही होती थी. कांग्रेस के तमाम नेता सोनिया के आवास, 10 जनपथ पर हाजिरी लगाते रहते थे, मगर राव कभी-कभार ही गए.
1996 में जनता ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया. राव ने कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद वह नेपथ्य में चले गए. पार्टी ने एक तरह से उन्हें भुला दिया. राव और गांधी परिवार में कड़वाहट इतनी ज्यादा थी कि 2004 में जब राव का निधन हुआ, तो उनके शव को दिल्ली में 24 अकबर रोड स्थित कांग्रेस मुख्यालय के भीतर ले जाने तक नहीं दिया गया. गेट के बाहर चबूतरे पर राव का पार्थिव शरीर रखा गया. वहीं पर सोनिया गांधी और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राव को श्रद्धांजलि अर्पित की.
राव देश के पूर्व प्रधानमंत्री थे, मुख्यमंत्री भी रहे थे और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष थे. भारतीय राजनीति के दिग्गजों में उनकी गिनती होती थी. इसके बावजूद उनके अंतिम संस्कार के समय जो कुछ हुआ, उसे तमाम राजनीतिक विश्लेषक इतिहास के सबसे शर्मनाक पलों में से एक मानते हैं.
उस दिन आखिर क्या हुआ था?
Half Lion में विनय सीतापति ने राव के निधन के बाद के घटनाक्रम पर विस्तार से लिखा है. राव का निधन 23 दिसंबर 2004 की सुबह करीब 11 बजे हुआ था. सीतापति के अनुसार, उस वक्त गृह मंत्री रहे शिवराज पाटिल ने राव के सबसे छोटे बेटे प्रभाकर से कहा कि अंतिम संस्कार हैदराबाद में होना चाहिए. राव का परिवार चाहता था कि पूर्व पीएम का अंतिम संस्कार दशकों तक उनकी कर्मभूमि रही दिल्ली में हो. इसपर शिवराज तुनक गए और कहा, 'कोई नहीं आएगा.'
कुछ देर बाद, उस दौर में सोनिया गांधी के करीबी रहे गुलाम नबी आजाद थोड़ी पहुंचे. उन्होंने भी राव का पार्थिव शरीर हैदराबाद ले जाने को कहा. जब राव का शव 24 अकबर रोड पहुंचा तो कांग्रेस मुख्यालय के दरवाजे बंद थे. राव के किसी दोस्त ने कांग्रेस की एक सीनियर नेता से कहा कि पार्थिव शरीर को भीतर आने दें. उन्होंने जवाब दिया, 'दरवाजा नहीं खुलता.' सीतापति ने राव के उस दोस्त के हवाले से लिखा कि कुछ साल पहले जब माधवराव सिंधिया का निधन हुआ था, तब उनके लिए दरवाजा खोला गया था.
एक और कांग्रेसी के हवाले से किताब में लिखा गया है, 'हम उम्मीद कर रहे थे कि दरवाजा खुलेगा... लेकिन कोई आदेश नहीं आया. केवल एक ही व्यक्ति ऐसा आदेश दे सकता था, उन्होंने नहीं दिया.' आखिरकार राव के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए हैदराबाद ले जाया गया.
हैदराबाद में अंतिम संस्कार हुआ, सोनिया नहीं पहुंचीं
राव कैबिनेट में वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह अब पीएम थे. वह राव के साथ हुए व्यवहार से दुखी थे. हुसैन सागर झील के तट पर राव के अंतिम संस्कार के समय मनमोहन मौजूद रहे. उनकी कैबिनेट के कई मंत्री और बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी भी वहां पहुंचे थे लेकिन सोनिया गांधी नहीं आईं. जब ये सब नेता चले गए तो देर रात तेलुगू टीवी चैनलों पर राव की जलती चिता के विजुअल्स चले. शव आधा जला हुआ था, खोपड़ी दिख रही थी... चिता के आसपास आवारा कुत्ते घूम रहे थे.
नरसिम्हा राव के साथ ऐसा व्यवहार किसी के गले नहीं उतरा. खासतौर से तब जब किसी आधिकारिक पद पर नहीं रहे संजय गांधी को राजकीय अंत्येष्टि दी गई थी.
शुक्रवार (09 फरवरी 2024) को मोदी सरकार ने राव को मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा की. कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि वह इस फैसले का स्वागत करती हैं. पीवी नरसिम्हा राव की बेटी और बीआरएस एमएलसी सुरभि वाणी देवी ने कहा, "यह बहुत खुशी का पल है. शानदार पहचान... मैं बहुत उत्साहित हूं."