नसीरुद्दीन शाह को अब नहीं पसंद बॉलीवुड मूवीज, बोले- 'मैंने हिंदी फिल्में देखना बंद कर दिया, मुझे वे पसंद नहीं...'
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नसीरुद्दीन शाह को अब नहीं पसंद बॉलीवुड मूवीज, बोले- 'मैंने हिंदी फिल्में देखना बंद कर दिया, मुझे वे पसंद नहीं...'

Naseeruddin Shah: हाल ही में एक इवेंट के दौरान नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि हिंदी सिनेमा के लिए एकमात्र उम्मीद है अगर फिल्म निर्माता इसे पैसा कमाने के साधन के रूप में देखना बंद कर दें. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि वो अब बॉलीवुड से पूरी तरह से निराश हो गए हैं और अब उन्होंने हिंदी फिल्में देखना बंद कर दिया है. 

नसीरुद्दीन शाह को अब नहीं पसंद बॉलीवुड मूवीज, बोले- 'मैंने हिंदी फिल्में देखना बंद कर दिया, मुझे वे पसंद नहीं...'

Naseeruddin Shah On Bollywood Movies: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता नसीरुद्दीन शाह को इंडस्ट्री में 49 साल हो चुके हैं और इतने सालों में नसीरुद्दीन दर्जनों फिल्मों में काम कर चुके हैं. अपने दमदार अभिनय के साथ-साथ एक्टर अपने बेबाक अंदाज और बयान के लिए जाने जाते हैं. हाल ही में नसीरुद्दीन शाह ने हाल ही में एक इवेंट में शामिल हुए जहां उन्होंने हिंदी सिनेमा पर अपनी निराशा व्यक्त की. 

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ए वेडनसडे के एक्टर ने शेयर किया कि हिंदी सिनेमा के बेहतर होने की उम्मीद तभी है जब फिल्म निर्माता पैसा कमाने के इरादे के बिना फिल्में बनाएंगे. नसीरुद्दीन ने यहां तक कहा कि फिल्म निर्माता पिछले काफी लंबे समय से एक ही तरह की फिल्में बना रहे हैं. अपनी अपकमिंग फिल्म 'शोटाइम' को लेकर सुर्खियों में बने नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि उन्होंने अब हिंदी फिल्में देखना बंद कर दिया है और जो फिल्में बन रही हैं वो उनको पसंद नहीं है. 

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बॉलीवुड को लेकर निराश हो चुके हैं नसीरुद्दीन शाह

साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें ये देखकर निराशा महसूस होती है कि लोग हिंदी सिनेमा के 100 प्रतिशत होने पर गर्व करते हैं. साथ ही एक्टर ने हिंदी फिल्मों में अहमियत की कमी पर सवाल उठाते हुए कहा, 'बहुत जल्द लोग एक ही तरह की फिल्में देखकर बोर हो जाएंगे. ये असल में मुझे निराश करता है कि हम ये कहने में गर्व महसूस करते हैं कि हिंदी सिनेमा 100 साल पुराना है, लेकिन हम वही फिल्में बना रहे हैं. मैंने हिंदी फिल्में देखना बंद कर दिया है. मुझे वो बिल्कुल पसंद नहीं हैं'. 

नसीरुद्दीन शाह ने हिंदी फिल्में देखना कर दिया बंद

साथ ही एक्टर ने आगे कहा, 'हिंदी सिनेमा के लिए उम्मीद तभी है जब हम इसे पैसा कमाने के साधन के रूप में देखना बंद कर दें, लेकिन मुझे लगता है कि अब बहुत देर हो चुकी है. अब कोई समाधान नहीं है, क्योंकि जिन फिल्मों को हजारों लोग देखते हैं वे बनती रहेंगी और लोग देखते रहेंगे. भगवान जाने कब तक. इसलिए जो लोग गंभीर फिल्में बनाना चाहते हैं. उनकी जिम्मेदारी है कि वे आज की वास्तविकता दिखाएं और इस तरह से कि उन्हें कोई फतवा न मिले, या ईडी उनके दरवाजे पर दस्तक न दें'. 

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