₹8000 करोड़ का लोन लेकर अनिल अंबानी की दिवालिया कंपनी खरीदेंगे ये भाई, कर्ज में डूबी इस कंपनी में ऐसा क्या है?
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₹8000 करोड़ का लोन लेकर अनिल अंबानी की दिवालिया कंपनी खरीदेंगे ये भाई, कर्ज में डूबी इस कंपनी में ऐसा क्या है?

Anil Ambani: लंदन की अदालत के सामने खुद को दिवालिया घोषित कर चुके अनिल अंबानी की एक कंपनी को खरीदार मिल चुका है. कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए हिंदुजा ग्रुप की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (IIHL) फंड जुटाने की कोशिश कर रही है.

hinduja Brothers

Anil Ambani Reliance Capital: लंदन की अदालत के सामने खुद को दिवालिया घोषित कर चुके अनिल अंबानी की एक कंपनी को खरीदार मिल चुका है. कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए हिंदुजा ग्रुप की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग्स लिमिटेड (IIHL) फंड जुटाने की कोशिश कर रही है. कंपनी ने रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए 9650 करोड़ रुपये की सबसे ऊंची बोली लगाई थी, हालांकि अब हिंदुजा भाईयों के लिए यह रकम चुकाना मुश्किल हो रहा है. दिक्कत तो ये भी है कि उन्हें इसके लिए 8000 करोड़ का भारी भरकम लोन लेना पड़ रहा है और उन्हें लोन देने वाला कोई नहीं मिल रहा.  

अनिल अंबानी की कंपनी का खरीदार  

देश की दिग्गज और 108 साल पुरानी कंपनी हिंदुजा समूह अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल को खरीदने की तैयारी कर रही है. हालांकि उसके लिए फंड जुटाना मुश्किल हो रहा है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक कोई भी बैंक कंपनी को सस्ता लोन देने को तैयार नहीं है. 8000 करोड़ के रकम को जुटाने के लिए कंपनी जापानी बैंकों Mizuho, SMBC और MUFG से संपर्क में है. माना जा रहा है कि कंपनी को जापानी बैंक से पांच सालों के लिए 8 से 9 फीसदी के दर पर लोग मिल जाएगा. रिलायंस कैपिटल की डील की डेडलाइन 12 मई को खत्म हो रही है. कंपनी को इससे पहले ये रकम जुटाना होगा. अनिल अंबानी की कंपनी को खरीदने के लिए आईआईएचएल ने लोन की योजना बना रहा है. जिसे लेकर बीमा नियामक इरडा (IRDAI) ने आपत्ति जता ली है.  इरडा का कहना है कि प्रमोटर्स को अपनी पूंजी निवेश करनी चाहिए, न ही लोन से रकम जुटानी चाहिए. जानते हैं उन भाईयों के बारे में जो कर्ज में डूबे अनिल अंबानी की कंपनी को खरीदकर उनकी मदद करेंगे. 

108 साल पुरानी कंपनी, 38 देशों में कारोबार  

हिंदुजा समूह का इतिहास 108 साल से भी पुराना है. इस कंपनी ने गुलाम भारत से लेकर आजादी के सूरज को करीब से देखा है. साल 1914 में परमानंद हिंदुजा ने हिंदुजा ग्रुप की नींव रखी. पिता के निधन के बाद साल एपसी हिंदुजा ने कंपनी की  बागडोर संभाल ली थी. कंपनी कपड़े, ड्राई फ्रूट और चाय आदि ईरान को बेचा करती थी. धीरे-धीरे इसकी कंपनी ही ईरान पहुंच गई. साल 1979 में जब ईरान तनाव बढ़ा तो उन्होंने अपना कारोबार ब्रिटेन में शिफ्ट कर लिया.

आज कंपनी 38 से ज्यादा देशों में कारोबार कर रही है. ट्रक-बस, बैंकिंग, पावर , केबल-टीवी , मनोरंज, फाइनेंस सेक्टर में हिंदुजा समूह का कारोबार फैला है.अशोक लेलैंड, गल्फ ऑयल, हिंदुजा बैंक स्विट्जरलैंड, इंडसइंड बैंक, हिंदुजा ग्लोबल सॉल्यूशंस, हिंदुजा टीएमटी, हिंदुजा वेंचर्स, इंडसइंड मीडिया एंड कम्युनिकेशंस जैसी कंपनियां हिंदुजा  ब्रदर्स संभालते हैं. साल 2.9 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ हिंदुजा समूह ब्रिटेन के अमीरों की लिस्ट में टॉप पर रहा, हालांकि संपत्ति विवाद को लेकर यह परिवार विवादों में उलझा रहा. 

संपत्ति बंटवारे को लेकर विवाद  

हिंदुजा समूह का संपत्ति विवाद चर्चा में रहा. एसपी हिंदुजा और उनके चार भाइयों में संपत्ति को लेकर बंटवारे के विवाद इतना बढ़ा कि चारों भाई अपने-अपने कारोबार के साथ अलग-अलग देशों में जाकर बस गए.  गोपीचंद हिंदुजा मौजूदा वक्त में हिंदुजा समूह के चेयरमैन हैं. मई 2023 में श्रीचंद हिंदुजा के निधन के बाद उन्होंने ये जिम्मेदारी संभाली. आज कंपनी में 2 लाख से अधिक कर्मचारी है. 

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