Share Market Return: घरेलू बाजार में सोने की कीमत में अप्रैल की शुरुआत में जबरदस्त तेजी आई और यह 74,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आंकड़े तक पहुंच गया. उस महीने गोल्ड MCX पर करीब 75,000 रुपये के मनोवैज्ञानिक आंकड़े को पार करने वाला था.
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Gold Return: सोने के बाद चांदी भी रेट के मामले में रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई है. पिछले कुछ महीने में गोल्ड का रेट बहुत तेजी से बढ़ा है. अप्रैल में 24 कैरेट का रेट चढ़कर 74000 के रुपये करीब पहुंच गई. पिछले पांच साल में जिस तरह सोने के रेट में तेजी आई है, उससे सालाना आधार पर 18% का रिटर्न मिला है. वहीं, निफ्टी ने इस दौरान 15% का फायदा दिया है. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रमुख शेयर बाजार सूचकांक निफ्टी ने एक, तीन, 10 और 15 साल की अलग-अलग अवधि में जैसी अन्य कई समय अवधियों में सोने को बेहतर रिटर्न दिया है.
गोल्ड की कीमत में करीब 20% की उछाल
इन आंकड़ों के हिसाब से आप यह सकते हैं कि सोने ने पिछले कुछ सालों में अच्छा प्रदर्शन किया है. लेकिन निफ्टी ने लंबे समय में हाल-फिलहाल से अच्छा रिटर्न दिया है. लेकिन यदि निफ्टी और गोल्ड को पिछले सात साल के आधार पर कम्पेयर करें तो दोनों का रिटर्न करीब-करीब बराबर रहा. रिपोर्ट के अनुसार निफ्टी की औसत सालाना बढ़त (CAGR) 15% की रही. वहीं, सोने की औसत सालाना बढ़त 14% की रही. इस साल अब तक वैश्विक रूप से गोल्ड की कीमत में करीब 20% की उछाल आई है. यह अभी 2,390 डॉलर प्रति औंस के करीब है.
सोने की कीमत में तेजी आने के कई कारण
अप्रैल के बीच में सोने के दाम कुछ समय के लिए 2,400 डॉलर के लेवल को भी पार कर गए. यह अब तक का रिकॉर्ड लेवल रहा. घरेलू बाजार में सोने की कीमत में अप्रैल की शुरुआत में जबरदस्त तेजी आई और यह 74,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के आंकड़े तक पहुंच गया. उस महीने गोल्ड MCX पर करीब 75,000 रुपये के मनोवैज्ञानिक आंकड़े को पार करने वाला था. लेकिन, बाद में इसमें गिरावट देखी गई और अब यह 71,000 रुपये के लेवल के आसपास ट्रेंड कर रहा है. सोने की कीमत में तेजी आने के एक नहीं कई कारण है.
केंद्रीय बैंकों ने सोने की जमकर खरीदारी की
रिपोर्ट में बताया गया कि इस दौरान कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने सोने की जमकर खरीद की. इस लिस्ट में चीन, भारत और रूस जैसे देश शामिल हैं. यूक्रेन जंग शुरू होने के बाद अमेरिका की तरफ से रूस के डॉलर मूल्य की संपत्ति को फ्रीज करने के बाद, वैश्विक निवेशकों का डॉलर पर भरोसा कमजोर हो गया. इस कारण कई केंद्रीय बैंकों ने सोना खरीदा. यही कारण रहा कि सोने की कीमत में अप्रत्याशित रूप से तेजी आई. अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) पर बढ़ते लोन का बोझ सोने की मांग को बढ़ा रहा है. दूसरा यह कि डॉलर में गिरावट के बीच सोने को एक सुरक्षित निवेश माना गया. गोल्ड में तेजी का कारण चीनी निवेशकों की मांग बढ़ना भी रहा.