तो क्या खत्म हो जाएगी हल्दीराम की चटपटी कहानी, क्यों आई बिकने की नौबत, कौन होगा ₹66400 करोड़ की कंपनी का नया मालिक ?
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तो क्या खत्म हो जाएगी हल्दीराम की चटपटी कहानी, क्यों आई बिकने की नौबत, कौन होगा ₹66400 करोड़ की कंपनी का नया मालिक ?

हल्दीराम वो ब्रांड जिसका नाम सुनते ही मुंह में पानी आने लगता है. एक ऐसा ब्रांड जो देश के मिडिल क्लास को प्रीमियम होने का अहसास कराता है तो वहीं 5 और 10 रुपये के पैकेट से देश के आम लोगों तक पहुंच जाता है.

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Haldiram: हल्दीराम वो ब्रांड जिसका नाम सुनते ही मुंह में पानी आने लगता है. एक ऐसा ब्रांड जो देश के मिडिल क्लास को प्रीमियम होने का अहसास कराता है तो वहीं 5 और 10 रुपये के पैकेट से देश के आम लोगों तक पहुंच जाता है. जिस कंपनी ने गुलाम भारत से लेकर आजादी की पहली किरण तक देखी, अब उस कंपनी के बिकने की खबरें आने लगी है. देश की पॉपुलर नमकीन और स्नैक्स बनाने वाली कंपनी हल्दीराम (Haldiram) जल्द बिक सकती है. इसे खरीदने वालों का तांता लग रहा है. देशी स्वाद वाली इस कंपनी का मालिक विदेशी हो सकता है. ब्लैकस्टोन (Blackstone) के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम ने कंपनी की 75 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए बोली लगाई है. इसके लिए ब्लैकस्टोन के अलावा अबु धाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी , सिंगापुर स्टेट फंड जीआईसी  ने भी बोली लगाई है. 

सबकुछ तो ठीक फिर क्यों बिकने तक पहुंची बात ? 

देश की लोकप्रिय नमकीन ब्रांड के बिकने की बात चल रही है.  ब्लैकस्टोन समेत कई और विदेशी कंपनियों ने इसके लिए बोली लगाई है. रिपोर्ट के मुताबिक इस बोली के लिए हल्दीराम की वैल्यूएशन 8 से 8.5 अरब डॉलर यानी 66400 करोड़ से 70500 करोड़ रुपये लगाई गई है. लेकिन मन में सवाल उठ रहा है कि जब सब ठीक ठाक तल रहा है तो आखिर 87 साल पुरानी यह कंपनी बिक क्यों रही है. हालांकि इससे पहले बता दें कि इससे पहले भी हल्दीराम के बेचने की कोशिश हुई थी. टाटा, पेप्सीको जैसी कंपनियों ने इसे खरीदने की कोशिश की थी. लेकिन सहमति नहीं बन पाई. अब विदेशी कंपनियां हल्दीराम के स्वाद पर अपने स्वामित्व की कोशिश कर रही है.  

कहां रह गई कमी  

हल्दीराम की शुरुआत 1937 में गंगा बिशन अग्रवाल ने बीकानेर में एक छोटी से दुकान की थी. सोन पपड़ी से लेकर सूखे समोसे, मठरी, नमकीन भुजिया, मिक्सचर, रेडी टू ईट, बिस्किट, कुकीज जैसे स्नैक्स और स्वीट्स बनाने वाली कंपनी परिवार की नई जेनरेशन आगे बढ़ाने में बहुत दिलचस्पी नहीं दे रही है. परिवार इस कारोबार को आगे बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा. अग्रवाल फैमिली की नई पीढ़ी ने खुद को कंपनी के डे टू डे ऑपरेशन से भी अलग कर लिया. कंपनी के सीईओ पद की जिम्मेदारी संभालने के बजाए केके. चुटानी को नियुक्त कर दिया.   

तीन हिस्सों में बंटी है कंपनी  

बंटवारे के बाद हल्दीराम कंपनी एक नाम एक लोगो के साथ तीन हिस्सों में कारोबार करती है. एक फैक्शन कोलकाता से, एक दिल्ली और एक नागपुर से ऑपरेट होती है. दिल्ली का बिजनेस मनोहर अग्रवाल और मधुसूदन अग्रवाल संभालते हैं तो नागपुर का बिजनेस कमलकुमार शिवकिशन अग्रवाल के पास है. इस डील में यहीं दोनों हिस्से शामिल है. कोलकाता से आपरेट होने वाला हल्दीराम का रेस्टोरेंट बिजनेस इसमें शामिल नहीं है.  हालांकि आपको बता दें कि इस डील को लेकर हल्दीराम की ओर से कोई ऑफिशियल बयान जारी नहीं किया गया है.  ब्लैकस्टोन , अबु धाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी , सिंगापुर स्टेट फंड जीआईसी ने हल्दीराम के लिए बोली लगाई है, देकना होगा कि किसके हाथों में इसकी जिम्मेदारी आएगी.  

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