RBI on Paytm: कैश के लिए जैसे पहले एटीएम विक्लप बन गया था, उसी तरह अब डिजिटल पेमेंट के लिए पेटीएम (Paytm)बन चुका है. पेटीएम करो...की टैगलाइन इकतनी हिट हुई की सब्जी से लेकर सिनेमा के टिकट तक की बुकिंग के लिए लोग पेटीएम पर निर्भर होने लगे.
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Paytm Paytment Bank: कैश के लिए जिस तरह से पहले एटीएम (ATM) विक्लप बन गया था, उसी तरह अब डिजिटल पेमेंट के लिए पेटीएम (Paytm) विक्लप बन चुका है. पेटीएम करो...की टैगलाइन इतनी हिट हुई की सब्जी से लेकर सिनेमा के टिकटों तक की बुकिंग के लिए लोग पेटीएम (Paytm Latest Update) पर निर्भर होने लगे. साल 2016 की नोटबंदी ने तो मानो पेटीएम के लिए संजीवनी का काम किया.नोटबंदी के अगले ही दिन कंपनी ने देशभर के अखबारों में विज्ञापन देकर लोगों के सामने सबसे पहले डिजिटल पेमेंट का विक्लप लाकर खड़ा कर दिया. शहर के लेकर गांव तक पेटीएम लोगों के घर-घर पहुंच गया. लेकिन अब आरबीआई ने पेटीएम की गलतियों और अनियमितताओं की पोल खोल दी है. हालांकि ऐसा नहीं है कि ये सब अचानक हुआ है.
2 साल में बिगड़ी बात
पेटीएम पर ये कार्रवाई अचानक नहीं हुई है. इसका टाइम बम लगभग 2 साल से सुलग रहा था. भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से पेटीएम (Paytm) को कई बात चेतावनी दी गई. पेटीएम पेमेंट्स बैंक (Paytm Payment Bank) और पेटीएम के बीच होने वाले पैसे और ट्रांजेक्शन डेटा ट्रैफिक को लेकर आरबीआई ने कई बार कंपनी को रेड फ्लैग्स जारी किए, लेकिन कंपनी और कंपनी के फाउंडर विजय शेखर शर्मा ने इसका समाधान निकालने के बजाए नजरअंदाज किया. आरबीआई ने कई बार पेटीएम को चेतावनी जारी कर कंपनी को अनियमिताओं को रोकने को कहा, लेकिन कंपनी मैनेजमेंट की बेपरवाह रवैये के चलते ये टलता रहा और अब आरबीआई ने अपना फरमान सुना दिया है. विजय शेखर शर्मा को बड़ा बनने की इतनी जल्दी थी कि उन्होंने रेग्युलेटरी गाइडलाइंस को किनारा कर दिया. 11 मार्च 2022 में ही आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक को तत्काल प्रभाव से नए ग्राहकों को जोड़ने पर रोक लगा दी थी.
कहां हुई पेटीएम से चूक
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया मे नियमों की अनदेखी के चलते पेटीएम पेमेंट बैंक पर कार्रवाई की है. मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी चिंताओं और संदिग्ध लेनदेन और नियमों की अनदेखी के चलते आरबीआई ने एक्शन लिया है. पीटीआई के मुताबिक पेटीएम पेमेंट बैंक (PPBL) के पास ऐसे लाखों अकाउंट हैं, जिसका केवाई (KYC) नहीं किया गया है. वहीं कई हजार ऐसे अकाउंट्स हैं, जहां एक ही पैन कार्ड से कई अकाउंट खोले गए हैं. ऐसे लेनेदेन हैं, जिसने मनी लॉन्ड्रिंग की चिंता बढ़ा दी है. पेटीएम के पास करीब 35 करोड़ ई वॉलेट हैं, जिसमें से करीब 31 करोड़ इनएक्टिव है. जो चार करोड़ एक्टिव हैं, उनमें भी अधिकांश में बहुत कम बैलेंस या न के बराबर है. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि इनएक्टिव अकाउंट्स का इस्तेमाल फर्जी खाते के लिए किया जा सकता है. रेगुलेटरी लिमिट को किनारा करते हुए लाखों रुपये के लेनदेन मिनिमम केवाईसी अकाउंट्स से किए गए. इन सब चिंताओं के चलते पेटीएम आरबीआई के निशाने पर पहुंच गया.
चीनी कंपनी का भी निवेश
पेटीएम पेमेंट बैंक में 49% हिस्सेदारी वन97 कम्युनिकेशंस के पास और 51% हिस्सेदारी पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा के पास थी. वहीं पेटीएम में चीनी निवेश भी है. पहले पेटीएम यानी वन97 कम्युनिवेशंस में चीन की कंपनी अलीबाबा और जापान की सॉफ्टबैंक थीं, लेकिन धीरे-धीरे अलीबाबा पेटीएम से बाहर हो गई. अलीबाबा के बाहर निकालने के बाद भी एंट ग्रुप पूरी तरह से बाहर नहीं हुई है. चीन के एंट समूह की सब्सिडियरी कंपनी एंटफिन ( नीदरलैंड) के पास पेटीएम की 9.89 फीसदी हिस्सेदारी है.