Car Windshield: कोई भी कार सिर्फ ऐसे ही नहीं बनाई जाती. इंजीनियर और डिजाइनर्स की बड़ी टीम हर एक बारीकी को ध्यान में रखकर अलग-अलग चीजों को डिजाइन करती है.
Trending Photos
Car Windshield Black Dots: कोई भी कार सिर्फ ऐसे ही नहीं बनाई जाती. इंजीनियर और डिजाइनर्स की बड़ी टीम हर एक बारीकी को ध्यान में रखकर अलग-अलग चीजों को डिजाइन करती है. अब कार की विंडशील्ड पर लगे ब्लैक डॉट को ही ले लीजिए. बहुत से लोगों को इनके बारे में जानकारी नहीं होगी.
कुछ लोगों को तो यह ब्लैक डॉट बेफिजूल लग सकते हैं. लेकिन, ऐसा नहीं है. विंडशील्ड पर दिए गए ब्लैक डॉट्स को विंडशील्ड फ्रिट्स (Windshield Frits) कहते हैं. यह असल में विंडशील्ड को डिस्लोकेट होने से रोकते हैं और साथ ही हीट की समान रूप से विंडशील्ड पर डिस्ट्रीब्यूट करते हैं.
विंडशील्ड ग्लोस को कार के फ्रेम से जोड़ने के लिए ग्लू/सीलेंट का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन, ग्लोस की सरफेस काफी चिकनी होती है. इसपर ग्लू/सीलेंट की पकड़ कमजोर रहेगी और ओवर द टाइम पीरियड विंडशील्ड के डिस्लोकेट होने का खतरा रहेगा.
इससे बचने के लिए विंडशील्ड फ्रिट्स दिए जाते हैं. यह ग्लास और कार फ्रेम के बीच कॉन्टेक्ट प्वाइंट का काम करते हैं. इनसे ग्लास की सरफेस खुरदरी जैसी हो जाती है, जिससे ग्लू ज्यादा मजबूती के साथ ग्लोस को कार फ्रेम से जोड़े रखता है.
इसके साथ ही यह ब्लैक डॉट (विंडशील्ड फ्रिट्स) सीलेंट को पिघलने से भी रोकते हैं. भारत के ज्यादातर हिस्सों में साल के ज्यादातर समय गर्म मौसम रहता है. 40 से 45 डिग्री टेंपरेचर काफी आम हो चुका है. ऐसे में तेज धूप और टेंपरेचर के बढ़ने से सीलेंट पिघल सकता है.
यहां भी विंडशील्ड फ्रिट्स काम में आते हैं. यह सीलेंट को पिघलने से बचते हैं और हीट को विंडशील्ड पर समान रूप से डिस्ट्रीब्यूट करते हैं. इनके होने से ऑप्टिकल डिस्टोर्शन या "लेंसिंग" को भी कम करने में मदद मिलती है. यानी, विंडशील्ड फ्रिट्स बहुत काम की चीज है और काफी दिमाग लगाकर बनाया गया होगा.