भारी-भरकम ‘नूरजहां’ पर खतरा, बचाने की कोशिश करेगी सरकार

मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले में ‘नूरजहां’ को बचाने के लिए सरकार मिशन मोड में काम कर रही है.

अलीराजपुर के कट्ठीवाड़ा क्षेत्र के दुर्लभ ‘नूरजहां’ आम के गिने-चुने पेड़ बचे हैं. इससे परेशान अफसरों ने आम की इस बेहद खास प्रजाति को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखने और इन पेड़ों की तादाद बढ़ाने के वैज्ञानिक प्रयास तेज करने के आदेश दिए हैं.

कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में "नूरजहां" आम के केवल 10 फलदार पेड़ बचे हैं. यह प्रजाति अपने भारी-भरकम आम के लिए मशहूर है. इंदौर संभाग के आयुक्त (राजस्व) दीपक सिंह ने उद्यानिकी विभाग की समीक्षा बैठक में कहा, नूरजहां के संरक्षण के लिए कोशिशें तेज होनी चाहिए. यह चिंता का विषय है कि जिले में आम की इस किस्म के गिनती के पेड़ बचे हैं.

उन्होंने उद्यानिकी विभाग को निर्देश दिए कि ‘‘टिश्यू कल्चर’’ की सहायता से ‘‘नूरजहां’’ के नये पौधे तैयार किए जाएं. अलीराजपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ. आरके यादव ने बताया, कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में नूरजहां आम के केवल 10 फलदार पेड़ बचे हैं, लेकिन हम अलग-अलग जगहों पर कलम लगाकर अगले पांच सालों में इनकी तादाद बढ़ाकर 200 पर पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. हम इस प्रजाति को विलुप्त नहीं होने देंगे.

कुछ दशक पहले "नूरजहां" आम का अधिकतम वजन 4.5 किलोग्राम तक हुआ करता था जो अब घटकर 3.5 किलोग्राम से लेकर 3.8 किलोग्राम के बीच रह गया है.

कट्ठीवाड़ा के अग्रणी आम उत्पादक शिवराज सिंह जाधव ने बताया, ‘‘इस बार नूरजहां की पैदावार बहुत कम रही है. मेरे बाग में इसके तीन पेड़ों में कुल 20 फल लगे हैं. बेमौसम बारिश और आंधी से आम की फसल को नुकसान हुआ है.’’

उन्होंने बताया कि पिछले साल उनके बाग में ‘‘नूरजहां’’ के सबसे भारी फल का वजन करीब 3.8 किलोग्राम रहा था और इस एक फल को उन्होंने 2000 रुपये में बेचा था.

जाधव ने बताया कि ‘‘नूरजहां’’ के पेड़ों पर जनवरी से बौर आने शुरू होते हैं और इसके फल जून तक पककर बिक्री के लिए तैयार हो जाते हैं.

'नूरजहां' का नाम ही काफी है. नूरजहां के जलवे दूर-दूर तक मशहूर हैं. इसके स्वाद के लोग दीवाने हैं.

आम संसार का सबसे मीठा फल माना जाता है. कालिदास ने इसकी प्रशंसा में गीत लिखे तो मिर्जा गालिब ने शायरी भी लिखी है. यूं तो दशहरी, चौसा, लंगड़ा, अल्फांसो, हापुस, सफेदा, जैसे दर्जनों किस्में हैं, लेकिन नूरजहां का रस भी किसी से कम मीठा नहीं है.

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