मृत्यु के बाद आत्मा को पैदल करनी पड़ती है यात्रा

दंड

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि इंसान को उसके कर्मों के हिसाब से अलग-अलग दंड मिलता है.

गरुड़ पुराण

गरुड़ पुराण में लिखा गया है कि इंसान को मरने के बाद इतना ज्यादा चलना पड़ता है, जितना वह अपनी पूरी लाइफ में नहीं चला है.

कितना दूर

ऐसे में जानिए मृत्यु के बाद आत्मा को कितना दूर तक पैदला चलना पड़ता है.

कठिन यात्रा

गरुड़ पुराण में लिखा है कि मरने के बाद आत्मा को कठिन यात्रा करनी पड़ती है.

पहला अध्याय

गरुड़ पुराण के पहले अध्याय में लिखा है कि मरने के बाद पापी इंसान को ढाई मुहूर्त यानी लगभग 24 घंटे में यमदूत वायुमार्ग से यमलोक लेकर जाता है.

कर्मों का हिसाब

यमलोक ले जाकर इंसान के कर्मों का हिसाब किया जाता है.

13 दिन

इसके बाद यमदूत दूबरा इंसान की आत्मा को वापस 13 दिन धरती पक लेकर आते हैं.

तेरहवीं

फिर यहां तेरहवीं के बाद इंसान की आत्मा यमलोक से अपनी यात्रा शुरू करती है.

भयानक

इस यात्रा को आत्मा पैदल चलकर करती है. गरुड़ पुराण के मुताबिक, यमलोक की दूरी 99 हजार योजम यानी 11 लाख 99 हजार 988 कमी है. इस यात्रा के रास्ते काफी भयानक हैं.

डिस्क्लेमर- ये लेख सामान्य जानकारी और लोगों द्वारा बताई गई कहानियों पर आधारित है, इसकी ज़ी मीडिया पुष्टि नहीं करता है.

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