Meen Sankranti 2024: 14 या 15 मार्च कब है मीन संक्रांति, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Meen Sankranti 2024: हिंदू धर्म में संक्रांति पर्व का विशेष महत्व है. मीन संक्रांति पर भी सूर्य देव की विशेष आराधना की जाती है. इस अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान, दान, तप करने का विधान है. आइए जानते हैं, मीन संक्रांति की तारीख, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में:  

Written by - Shruti Kumari | Last Updated : Mar 13, 2024, 07:29 PM IST
Meen Sankranti 2024: 14 या 15 मार्च कब है मीन संक्रांति, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

नई दिल्लीः Meen Sankranti 2024:हिंदू धर्म में संक्रांति पर्व का विशेष महत्व है. सूर्य देव जब भी एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं तो इसे संक्रांति कहा जाता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान दान तप करने का विधान है और भगवान सूर्य देव की पूजा की जाती है. ऐसा मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से सुख और समृद्धि की प्राप्ति है. 

इस अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान, दान, तप करने का विधान है. मीन संक्रांति पर भी सूर्य देव की विशेष आराधना की जाती है.  आइए जानते हैं, मीन संक्रांति की तारीख, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में.

मीन संक्रांति की तारीख और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष मीन संक्रांति पर्व फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाएगा.फाल्गुन माह में सूर्य 14 मार्च को मीन राशि  में प्रवेश कर रहे हैं. इस बार 14 मार्च 2024 को मनाया जाएगा.  मीन संक्रांति की शुरुआत दोपहर 12 बजकर 46 मिनट से होगा और समापन शाम 6 बजकर 29 मिनट तक रहेगा. महा पुण्य काल दोपहर 12 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 46 मिनट तक रहेगा और  मीन संक्रांति का क्षण दोपहर 12 बजकर 46 पर होगा.

मीन संक्रांति का पूजा विधि
मीन संक्रांति के दिन सुबह जल्दी स्नान करें. सूर्य देव को जल दें और उसके बाद पूजा करना चाहिए. इसके बाद श्रद्धा अनुसार गरीबों को विशेष चीजों का दान करें. ऐसा माना जाता है कि इस दिन दान करना कल्याणकारी होता है. इस दिन "ॐ आदित्याय नमः" मंत्र का जाप करें. घर में विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करें. 

मीन संक्रांति का  महत्व
मीन संक्रांति को नये साल की शुरुआत माना जाता है.  इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से मनुष्य को आरोग्य, धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. इस दिन दान करने से पुण्य प्राप्त होता है. इसके साथ ही भगवान शिव और विष्णु की पूजा का खास महत्व होता है. पितरों का श्राद्ध या तर्पण करने के लिए संक्रांति का दिन श्रेष्ठ माना गया है.

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