महाभारत युद्ध में एक से बढ़कर एक शक्तिशाली और कुशल योद्धा थे लेकिन इनमें सबसे ज्यादा चर्चा कुछ की ही होती है.
कौरव-पांडव के बीच हुए महाभारत युद्ध में जीत पांडवों की हुई थी. साथ ही अर्जुन को ही सबसे वीर धनुर्धर माना जाता है.
जबकि कौरवों की ओर से लड़ रहे योद्धा भी बेहद शक्तिशाली थे. इसमें भीष्म पितामह से लेकर द्रौणाचार्य आदि शामिल हैं.
लेकिन महाभारत युद्ध में एक योद्धा ऐसा था, जो पांचों पांडवों की कुल शक्ति से भी ज्यादा ताकतवर था. ये और कोई नहीं पांडवों का भाई कर्ण ही था.
दिव्य कवच-कुंडल के साथ पैदा हुआ सूर्यपुत्र सबसे ज्यादा ताकतवर और कुशल योद्धा था. वह युद्ध की हर कला में निपुण था.
भगवान श्रीकृष्ण ये बात जानते थे कि जब तक कर्ण के हाथ में शस्त्र है, उसे हराया नहीं जा सकता है.
एक श्राप के कारण कर्ण के रथ का पहिया जब कुरुक्षेत्र की रण भूमि में धंस गया, तब ही अर्जुन कर्ण का वध कर पाए थे.
कर्ण ये बात जानता था कि उसका वध होगा. इसके चलते उसने भगवान श्रीकृष्ण से वचन लिया था कि वे ही उसका अंतिम संस्कार करेंगे.